लेखक की कलम से

कर शपथ …

कर शपथ ! कर शपथ !

न रुकेगा तू ! न झुकेगा तू !

नहीं है ये नया पथ ।

सदियों पहले इसी पर ,

चला चला सिद्धार्थ, तप कर ,

बना वो बुद्ध ! फैलाया ज्ञान का प्रकाश !

दिया मानवता को शांति का संदेश !

सूची नहीं है कम !

स्वामी विवेकानन्द, सुभाष चन्द्र बोस, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, राकेश शर्मा, एपीजे अब्दुल कलाम

…सूची नहीं है कम !

राह वो पकड़ तू बढ़ चल !

न थक, कर श्रम अचल ।

निडर हो कर प्रण ,

न थकुंगा मैं , न रुकूंगा मैं ।

कठिन हो कितना ही पथ !

है शपथ ! है शपथ !

©डॉ. विभा सिंह, दिल्ली

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