लेखक की कलम से

अंग देश के पावन धरती …

हे अंग देश के पावन धरती

सत सत बार तोरा प्रणाम।

हे जन्म भूमि के पावन मिट्टी

सत सत बार तोरा प्रणाम।।

वीर आरु बलिदान के धरती

अंग क्षेत्र के बड़ा नाम।

कर्ण वीरता के गाथा

गाबै छै ई देश महान।।

तोरे छाया में नाम कमैलखो

 विक्रमादित्य ऊ राजा महान।

कालिदास के अद्भुत विद्वता से

 परिचित भेले सकल जहाँ।।

हे अंग के पावन धरती 

समुद्र मथनी तोरो मंदार।

अमृत आरु चौदह रतन पर

 तोय छौ बराबर के हकदार।।

नया पुराना युग तोय देखलोह

 आरु देखलोह तोय विस्तारवाद।

विक्रमशिला के खंडहर से लेके

देखलोह तोय राजदरवार।।

बूढ़ा नाथ बनी के बाबा

रक्षक रूप सतत छौं साथ।

हुनके त्रिशुल आरु डमरू पर

 टिकलो छै अंगिका के भार।।

सिल्क सिटी वाला ऊ रुतवा

आब फेरु बनाबै के दरकार ।

कमला फलटा बाला युग से

एक्सप्रेसवे से जोड़े के दरकार।।

विकास के रास्ता पर जब

अग्रसर होतेय अंग प्रदेश।

देश और दुनियाँ में तब

 चमक फैलैतै अंग प्रदेश।।

©कमलेशझा, फरीदाबाद                       

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