लेखक की कलम से
वीर रस …
जब जब कोई विपदा,
देश भूमि पर आयी हैं,
वीरो ने ओढ़ बासंती चोला,
देश की शान बचायी हैं।
अशक्त समझ जब झांसी पर,
अंग्रेजो ने की चढ़ाई थी,
रानी झांसी की वीरता ने,
धूल अंग्रेजो को चटाई थी।
बज उठे थे बिगुल भी सारे,
पुष्प वर्षा देवो ने कराई थी,
एक नारी की वीरता के सम्मुख,
अंग्रेजी सेना शर्मायी थी।
ले दोनो हाथों में अस्त्र शस्त्र,
खूब लड़ी वो रानी थी,
नन्हे बेटे को संग ले,
लिखी अनोखी कहानी थी।
वीरता ,अंतस में विराजे,
रानी ने लिखी वो कहानी थी,
वीरता की ये कहानी,
जन जन की जुबानी थी।
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी