लेखक की कलम से
प्रश्न पूछो …
पूछो यदि
जिंदा हो तो!
जैसे ट्रेन चालक
ट्रेन चलाने के पूर्व
पटरियों की मति-गति
से पूछता
असंख्य प्रश्न!
जैसे वायुयान चालक
आकाश मंडल के
वायु स्तर से अंतहीन प्रश्न पूछता!
जैसे पृथ्वी
निरंतर प्रश्नों की बौछार
तारों के रडार से करती!
जैसे धरती, आकाश से
मिलन हेतु
मौन-मुक भाषा में
क्षितिज तक,
अंतहीन,अनवरत प्रश्न पूछती…
प्रश्न पूछो!
कम से कम
स्वयं से
तो
प्रश्न पूछो!
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता