माँ से मन का संवाद …
मातृ दिवस विशेष कविता –
ऐ माँ! जरा पास आ, कुछ पल बैठ यहाँ,
मुझसे चार बातें कर, मुझे कुछ बातें बता।
ऐ माँ! जरा पास आ, मुझसे पूछ मेरा हाल,
कैसे कटा है दिन मेरा, मैं क्यूँ हुआ बेहाल?।
माँ! जरा मुझसे पूछ, मैंने सुबह से कुछ खाया भी है?,
मुझसे पूछ मैंने अपना कर्तव्य निभाया भी है?।
माँ! मुझसे चार बातें कर, मेरी थकान हल्की कर,
मुझसे पूछ आज मैंने अपना कोई सपना भुनाया भी है?
ऐ माँ! जरा पास आ, मेरी गलतियों का पता लगा,
मुझे तालीम दे, मुझे मेरी गलतियों से रूबरू करा।
ऐ माँ! जरा पास आ, मुझे सांत्वना तो दे,
असफलताओं से दूर उम्मीदों की भावना जगा दे।
रात के भोजन का पूछ, तेरा बेटा सुबह से भूखा तो नहीं है?
किन्हीं चिंताओं से उसका मन कहीं सूखा तो नहीं है?।
माँ! बहुत थक गया हूं मैं, मन को आराम चाहिए,
चंद पलों का अब मुझे था सुख चैन चाहिए।
इस मायाजाल से मुझे अब दूर भगा दे,
मुझे जीने की फिर कोई नई राह दिखा दे।
ऐ माँ! जरा सिरहाने तो बैठ,
मुझे किस्से सुना लोरी सुना, अब जरा गुनगुना दे।
कुछ पल तो चैन से सपने संजो लूँ मैं,
तभी तो कल फिर उन्हें साकार करूंगा।
तेरी आज्ञा उपदेश पर विचार करूंगा,
तेरी ही प्रेरणाओं से सफर करता हुआ,
तेरे सपने मेरे लक्ष्य को हासिल करूंगा॥
©आशुतोष दुबे, पेंड्रा