पेण्ड्रा-मरवाही

कलेक्टर ने गौरेला विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम धनौली का किया भ्रमण, गौठान का किया निरीक्षण

सुराजी गांव योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के अधिकारियों को दिये निर्देश

पेंड्रा (अमित रजक)। कलेक्टर शिखा राजपूत ने शासन की फ्लैगशिप सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी के क्रियान्वयन की गौरेला विकासखण्ड के ग्राम धनौली में बैठक लेकर समीक्षा की। कलेक्टर ने सभी अधिकारियो को समन्वय से कार्य करते हुए सुराजी ग्राम योजना अंतर्गत सभी कार्यों को समय सीमा के भीतर पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गौठान निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का विशेष रूप से ध्यान रखा जाये।

ग्राम धनौली में गौठान, वर्मी कंपोस्ट उत्पादन, नाडेप टांके का निरीक्षण किया और गौठान शेड में ही अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशानिर्देश दिए। महिला स्व सहायता समूहों की सुराजी ग्राम योजना में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। बाड़ी विकास में विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए जिस से ग्रामीण महिलाएं सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें। बाड़ी में मुनगा तथा अन्य पौधों का रोपण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाड़ी में उत्पादित सब्जी का उपयोग समीपस्थ आंगनबाड़ी केंद्रों, छात्रावासों, शालाओं में किया जाए जिस से क्षेत्र के बच्चों और छात्र-छात्राओं को पोषणयुक्त भोजन नियमित रूप से प्राप्त हो सके।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और पर्यावरण को बचाने के लिए नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि जीवन यापन का प्रमुख जरिया है। इससे किसानों की क्रयशक्ति बढ़ेगी। कृषि उत्पादन को बढ़ाने और किसानों को भरपूर आमदनी मिले इसके लिए सुराजी गांव योजना के विभिन्न घटकों में प्रभावी तरीके से कार्य प्रारंभ करें।

नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना के  माध्यम से निर्मित गौठानो में पशुधन के स्वास्थ्य एवं चारा उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।  उन्होंने कहा कि इससे फसल चराई की समस्या से जहां किसानों को निजात मिलेगी, वहीं गौठान में पशुओं के नस्ल सुधार से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि और रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। गौठान में पशुओं के गोबर से कंपोस्ट और वर्मी खाद बनाने का कार्य शुरू करने के निर्देश दिए जिसका उपयोग जैविक खेती में करने से पौष्टिक आहार मिलेगा। उन्होंने कहा कि पेस्टिसाइड और रासायनिक उर्वरकों से दूषित भोजन की जगह जैविक खेती के खाद्यान्न और कृषि उत्पाद प्राप्त होंगे, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर होंगे।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से नरवा-गरवा-घुरुवा-बाड़ी योजना के जिले में प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश देते हुए मनरेगा योजना के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की तथा मनरेगा के कार्य अधिक संख्या में प्रारम्भ करने के साथ साथ मनरेगा में नियोजित मजदूरों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये। इस अवसर पर अपर कलेक्टर अजीत वसंत, एसडीएम मयंक चतुर्वेदी, परियोजना प्रशासक बीके राजपूत, जनपद पंचायत गौरेला के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ओपी शर्मा सहित कृषि, पंचायत व ग्रामीण विकास, पशुपालन, उद्यानिकी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, जलसंसाधन सहित अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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