ऐसा कर पाओगे ….
मन के अंतस में झांक कर देखो,
भावनाओं को मार कर देखो,
आवरण को उतारकर देखो,
वही मिल जायेगा तुम्हें,
मेरा प्रेम से भरा ह्रदय,
अंधकार में,प्रकाश में,निशा में,प्रभात में,
सुख में,दुख में,अश्रु में,खुशी में,
आकार में,साकार में,निराकार में,
निर्विकार में,ओंकार में,
कही नही सकल ब्रह्मांड में,स्वयं में
वही मिल जायेगा तुम्हें
मेरा प्रेम से भरा हृदय,
सृष्टि में,हर क्षण में,कण कण में,
प्रतिफल समाहित है प्रेम,
धर में,अधर में,धरा में,अंबर में,
इधर उधर में,व्याप्त है प्रेम,
ये प्रेम महज आकर्षण नही,
प्रेम वासना भी नही,
प्रेम परम सत्य,परम ब्रह्म है,
वही मिल जायेगा तुम्हें
मेरा प्रेम से भरा हृदय,
आदि में,अनादि में,प्रगादि में,
निनादि में,
अकल कलाओं में,निहित है प्रेम,
शक्ति में,भक्ति में,शांति में,समाधि में है प्रेम,
कैसे,कैसे,कहां,कहां,बताऊं
समाहित है यह प्रेम,
जहां दृष्टि दौड़ाओगे वही पाओगे प्रेम,
वही मिल जायेगा तुम्हें
मेरा प्रेम से भरा हृदय!!!
©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज