लेखक की कलम से
स्वागत हेमंत ऋतु…
सुख की नदी है प्रसव पीड़ा
कृषि कर्म भी है प्रसव पीड़ा
नव सृजन ही है प्रसव पीड़ा
पहली सांस से अंतिम सांस तक
कर्म धर्म और ज्ञान प्रसव पीड़ा
रुदन निसृत कर भुलाया प्रसव पीड़ा
ताना बाना बुना सहेजकर प्रसव पीड़ा
मुक्त होने को पाला बन्धन और निबंधन
मुक्ति को बांधकर मिला प्रसव पीड़ा!
©लता प्रासर, पटना, बिहार