लेखक की कलम से
चिड़िया उड़ …
मैं खेल रही थी बच्चों के साथ
चिड़िया उड़, कौवा उड़
गिद्ध उड़, कोयल उड़
मैना उड़, बुलबुल उड़
गौरैया उड़, बगुला उड़
उल्लू उड़ , सारस उड़
मैंने पूरा खेल सही खेला
बस जीतने ही वाली थी
मगर बीच खेल में ही बच्चे
रूठ कर बैठ गये
जाओ हम नहीं खेलते
बहुत बुरी हो तुम
सारे पक्षी उड़ा दिए
अब वो कभी नहीं आएंगे…।।
©चित्रा पवार, मेरठ, यूपी