लेखक की कलम से
फुर्सत ….
बड़ी फुर्सत से आज एक पैगाम लिख रही
सच कहती हूँ सनम तुम्हें याद कर रही ।
सुकून मिलता है दिल कि सदा बात लिख कर
कर सोलह श्रृंगार नित इंतजार कर रही।
जमाने का क्या मजा लेते रहते है
सच कहती सनम दुनिया से नहीं डर रही।
बदनाम मत करना तुम मोहब्बत करके
तुम्हारें प्यार के लिए सदा तड़प रही।
©अर्पणा दुबे, अनूपपुर