लेखक की कलम से
प्रयास …
जमी तो नही आसमाँ पर रहोगे,,,
अजी बोलिये तो, कहाँ पर रहोगे,,,
दिल मे बिछाए कोमल अहसास
मखमली छुअन हो जहाँ पर रहोगे
ये ख्वाहिश तुम्हारी सभी जानते है,,,
बनी क्या सभी की जुबां पर रहोगे…
अफसाना बन कर कहाँ पर रहोगे
बढ़ा फासले लो हमीं से मगर तुम,,,
जहाँ हम रहें तुम वहाँ पर रहोगे,,,
लबो को जब सी ले तेरे वादे से
आँखो की कसक , नमी मे रहोगे
कभी रात की इस सहर हो जरूरी,,,
हमारी निगा-ओं- निशाँ पर रहोगे,,,
रहो तो कभी तुम तो दिल में हमारे,
हम्ही ,,,,चाहते ,,,है ,,,यहाँ पर रहोगे,,,
तुम्हें ,,,भूल ,,जाऊँ कभी ये न होगा,
सदा ही बनी मेरी,,जाँ पे रहोगे,,,!!
सुख ••••••••••
जमी पर नही•••
ओस की बूँदो की भांति मोती बन
कहाँ पर रहोगे••••••
मुस्कुराहट बन कर गुलाबी लबो पर
महकते रहोगे जहाँ पर रहोगे ….
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा