लेखक की कलम से

नया साल 2021 …

एक आदत नहीं बदली जीने की

एक आदत नहीं बदली जज करने की

एक आदत नहीं बदली दखलंदाज़ी की

एक आदत नहीं बदली चैन की सांस लेने की

एक आदत नहीं बदली जियो और जीने दो की

अब बदला साल नई उम्मीद इक्कीसवां साल की

अब तो बदल जायो नया साल नए हम को तब्दील करने हिम्मत जुटाने की

किसी के मुस्कुराहट बरकरार रखने की कोशिश करने की

प्यार से इज़्ज़त से कमाई इज़्ज़त बरकरार रखने की

आयो कुछ नया मोड़ ले चले ख़ुद को नया मुकाम हासिल को यही उम्मीद रखने की

 

©हर्षिता दावर, नई दिल्ली

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