वो किसी और की हो गई …
एक वादों भरा सफर आज हाथों से छूट गया है
जैसे मेरी हंसीं आंखों से कोई ख्वाब टूट गया है
ये कैसी बेचैनी है जो अंदर से मुझे खा रही है
शायद कहीं कोई खामोश चीखें मुझे बुला रहीं है
मैं तो उसकी एक झलक देखने को बेकरार था
मेरी आंखों को सिर्फ उसी का ही इंतजार था
मगर मेरी दुनिया जाने किस मोड़ पर खो गई
मुझे बेगाना करके वो किसी और की हो गई…!
उसने मुझे बुलाया सोचा ना जाने क्या बात होगी
मैं सोच नहीं रहा था ये आखिरी मुलाकात होगी
जब लव खुले तो उसकी जुबां कुछ ना कह पाई
फिर हकीकत-ए-दास्तां उसकी आंखों ने सुनाई
सुनकर उसकी बातें ये अश्कों भरा दिल रो दिया
समझ नहीं आया उसे खोया या खुद को खो दिया
मैं रोक भी ना सका जब मेरी जिंदगी से वो गई
मुझे बेगाना करके वह किसी और की हो गई…!
अब दीवाना दिल मेरा परेशां बहुत रहने लगा
क्यों की थी मैंने मोहब्बत मुझसे ही कहने लगा
अब कुछ नहीं बचा था जिंदगी बहुत उदास थी
उसके कुछ खत और निशानियां मेरे पास थी
रात को उसकी यादें मुझे सोने भी नहीं देतीं थीं
कुछ मजबूरियां ऐसी थी जो रोने भी नहीं देतीं थीं
उसके जाते ही मेरी अधूरी इश्क दास्तां हो गई
मुझे बेगाना करके वो किसी और की हो गई…!
आखरी मुलाकात थी और भूल जाने के वादे थे
समझ नहीं आ रहा था तकदीर के कैसे इरादे थे
साथ गुजारे लम्हों की मुझे बहुत याद आ रही थी
और जिंदगी मुझे एक नया सबक सिखा रही थी
पल दो पल की ही खुशी थी और उसका साथ था
हिज्र की रात थी और मेरे हाथों में उसका हाथ था
वो किसी और की हो रही कहकर बाहों में सो गई
‘ओजस’ को बेगाना करके वो किसी और की हो गई….!