लेखक की कलम से

दोस्ती का रिश्ता रखिए…

एक बार एक बंदर को उदासी के कारण मरने की इच्छा हुई, तो उसने एक सोते हुए शेर के कान खींच लिया।

शेर उठा और

गुस्से से दहाड़ा-

“किसने किया ये..? किसने अपनी मौत बुलायी है..?”

बंदर: मैं हूँ महाराज। दोस्तों के अभाव में अत्याधिक उदास हूँ,

 मरना चाहता हूँ,

आप मुझे खा लीजिये।

शेर ने हँसते हुए पूछा-

 “मेरे कान खीँचते हुए तुम्हें किसी ने देखा क्या..?”

बंदर: नहीं महाराज…

शेर: ठीक है, एक दो बार और खींचो, बहुत ही अच्छा लगता है.!!

कथासार :

अकेले रह-रह कर जंगल का राजा भी बोर हो जाता है। इसलिए अपने दोस्तों के संपर्क में रहें, कान खींचते, खिंचाते रहे, पंगा लेते रहें…।

सुस्त न रहे

मस्ती करते रहें..!

दोस्तों से रिश्ता रखा करो जनाब..!!

तबियत मस्त रहेगी।

ये वो हक़ीम हैं

जो अल्फ़ाज़ से ही इलाज कर दिया करते हैं।

@संकलन – संदीप चोपड़े, सहायक संचालक विधि प्रकोष्ठ, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

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