लेखक की कलम से

बेपनाह इश्क …

रूह की गहराइयों  मे तुझे संभाला  हमने

हाथ मे ओस को बूंदो  सा महसूस  किया

नाजुक रेशम सा  तू अनमोल  इतना

तेरे इश्क की खुशबू  को जह्नन  मे

उतारा  हमने इस कदर कि हम

जमाने भर की उलफतो से दूर हो गए

तेरे बिना जीने की कल्पना  ना की थी

एक पल अब बंजर मरू की तपन मे

जलने लगे हम

लम्हा लम्हा तेरा दूर जाना

बात बात पर नाराजगी  के

दर्द -सितम  सह रहे है हम

आस इतनी है तुम लौट कर आओगे।

मेरे  अहसास को शायद

समझ पाओगे……..

रूह मे उतर कर कैसे

दिल से उतार सकते हो

उम्मीद  है तुम एक दिन

जरूर लौट आओगे…….

सच्चे दोस्त दिल दुखाया नही करते।

दिल मे रहने वाले नक्षत्र  चुभाया नही करते।

उम्मीद   करते है।

महक प्यार  की जिदगी भर मुझ पर

बिखरते जाओगे।

जान बन कर मौत की तड़प जुदाई  वाली।

कभी न देकर जाओगे।

तुम लौट आओगे।।

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा                         

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