लेखक की कलम से
अराधना करती मैं तेरी …
आराधना करती मैं तेरी,
माँ शारदे तेरे चरणों में,
करो दूर अंधियारा,
भर दो उजियारा,
हे मातु दयाला इस जग में,
करुणामयी निर्मल नैनों से,
प्रेम सुधा बरसा दो माँ,
नैनो को खोल कर देखो,
क्या हाल है इस जग में माँ,
है हहाकार चारों तरफ,
यह कैसी विडंबना आई है,
अंत करो इस अभिशाप को,
सब तड़प रहे इस जग में माँ,
हरो क्लेश सारे इस जगत से,
जीवन में खुशियां तुम भर दो माँ,
बहे हर तरफ ज्ञान का सागर,
ऐसी चेतना तुम भर दो सब में,
हो अज्ञानता का नाश माँ,
ज्ञानता का दीप जलता रहे,
भूल से ना हो गलती हमसे,
ऐसी चेतना तू जगा दे माँ,
एक उपकार और कर दे माँ,
लिखने बोलने की उर्जा भर दे ,
मोती से अक्षर पिरोकर,
दिव्य माला मैं बना सकूं,
आराधना करती मैं तेरी,
माँ शारदे तेरे चरणों में……।।
©पूनम सिंह, नोएडा, उत्तरप्रदेश