लेखक की कलम से
गज़ल …
किया सब्र बहुत अब ना हमें करना है
तोड़ कर हद को, हद से हमें गुज़रना है ।
ना जाओ छोड़ कर यूं प्यासा मुझको
तेरे प्यार का सरूर दिल में हमें भरना है ।
बहुत तरसा किए दूर से कर के नज़ारा
अपनी आगोश में चांद हमें भरना है ।
इशक-ए-जूनून बढ़ रहा है अब तो हद से
तेरी बाहों में टूट कर हमें बिखरना है ।
छुपाया था अब तक इस प्यार को” प्रेम”ने
अब तो सरेआम इश्क हमें करना है ।
©प्रेम बजाज, यमुनानगर