लेखक की कलम से

मैं महिला …

 

कोमल मन है मेरा लेकिन मैं कमज़ोर नहीं

 

निरिह सी दिखती हूं मैं लेकिन अबला नहीं…..

 

अपनी मुस्कुराहट को तुम्हारा मोहताज बनाया है बेशक हमने

 

क्योंकि तुम में बिना सहारे चलने का जोर नहीं..

 

तुम गौरव हो समाज का जानती हूं मैं..

 

लेकिन पल पल अपनी मौजूदगी का अहसास कराना

 

तुम्हारे गौरव की नहीं, कमजोरी की है ये परिभाषा

 

जानती हूं मैं मेरे ख्याल तुमको रास ना आएंगें

 

लेकिन यहीं ख्याल मुझे दो पल का सूकून पहुंचाते है

 

मेरा संघर्ष तुमसे आगे जाने का नहीं है

 

मेरा संघर्ष तुमको पीछे करना भी नहीं है

 

ये कवायद है सिर्फ इंसान बने रहने की

 

खुदा ने तुम्हे और मुझे दोनो को बनाया है

 

फिर तुम समाज का गौरव और मैं समाज की वस्तु क्यों हूं

 

शुक्रिया खुदा का नहीं दिए उसने किसी भी रंग को एकाधिकार

 

वर्ना तूलिका की पहचान भी होती रंगो की मोहताज

 

©तूलिका, सिंह, बनारस, यूपी

परिचय:- 2005 में बतौर टीवी पत्रकार अपना करियर शुरु करने वाली तूलिका बनारस की रहने वाली है… करीब पांच साल तक पत्रकारिता में अपना योगदान देने के बाद सावधान इंडिया इमोशनल अत्याचतार जैसे पापुलर शो में बतौर लेखिका काम करने लगी। 2015 में उनकी किताब “तूलिका का सफर” प्रकाशित हुई है। इसकी हर कविता में अपनी एक कहानी है उसका एक किरदार है…..और इसका हर किरदार समाज के कड़वे सच को बंया करती है….तूलिका लगातार अपनी लेखनी के द्वारा महिलाओ सेजुड़े हुए मुद्दे उठाती रहती है…वर्तमान में तूलिका सोशल मीडिया पर एक campaign चला रही है जो gender equality पर आधारित है उनका मानना है कि महिला हो या पुरुष दोनो इज्ज्जत प्रेम और अधिकार के समान अधिकारी है ।आजकल चल रही मानसिक बिमारी का शिकार हमारी आनेवाली पीढी ना हो इसके लिए हमें आज से अथक प्रयास करना होगा….

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