लेखक की कलम से
शब्द …
मुझे नहीं शिकायत किसी से
ना जाने तुम्हें
क्यों चोट पहुँचीं
उनका हाल जानने की बजाय
अपनी ही पैरवी की
कविताओं में क्या रखा है
तुम कुछ रंजिश रखोगे
कुछ मन में मेरे है ।
मत पूछ हाल दूसरों से
इतनी भी देर मत कर
सिर्फ़ पछतावा रह जाए ।
नासूर
बन जाता है हर शब्द
क्योंकि
शब्द ही शक्ति है
शब्द ही है घाव
शब्द ही मिठास है
और शब्द ही अपना पराया
समय बड़ा बलवान है
उसी से डर लगता है मुझे
तुम्हारा पता नहीं
तुम्हें डर लगता है कि नहीं ।
©सावित्री चौधरी, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश