शहरों के हालात …
बड़े शहरों के हैं बुरे हाल
जाएँ तो जाएँ कहाँ
हालात हुए विकराल
पर पापी पेट का है सवाल
कंक्रीट सीमेंट की बनती हर रोज
गगन चुम्बी इमारतें
उड़ती धूल कटते पेड़
सीमेंट के जंगलों में तब्दील होते शहर
दमघोटू वातावरण बढ़ती बीमारियाँ
निजी अस्पतालों की बढ़ती कतार
दिनोदिन जीना हुआ मुश्किल
तिस पर वाहनों का धुआँ
निजी वाहनों की बढ़ती संख्या
और लंबे 2 जाम
आस पास जलती पराली
जमा होते कचरे के पहाड़
थ्रेसरों से उड़ती धूल
बढ़ती गर्मी और जहरीली होती जाती है आबोहवा
विकास की अंधी दौड़ में
शहरों में बढ़ता कार्बन उत्सर्जन
बढ़ता ग्रीन हाउस इफेक्ट
बिगड़ता मौसम का चक्र
कहीं बाढ़ कहीं सूखा
अभी भी संभलो
हो जाओ सावधान
पेड़ पौधों पर दो ध्यान
वरना प्रकृति देगी जवाब
आंधी तूफान घनघोर बर्षा
भूकंप फटते ज्वालामुखी
झुलसता लावा
दिनोदिन फैलते नए 2 रोग
नए 2 रोगाणु नित नई 2 बीमारियों का करते सृजन
और फिर निश्चित है मानव जाति का विनाश
इसलिए प्रकृति से ना करो
ज्यादा छेड़छाड़
आने वाली पीढ़ियों पर करो दया
और उन्हें बक्शो सुंदर स्वस्थ
खूबसूरत जहान
इसके लिए करो प्रयास
दिन और रात
©प्रेम चन्द सोनी, फरीदाबाद