लेखक की कलम से

सुरक्षाकवच …

किंचित न भय तन मन में,

शत्रु दमन मरनाशन्न तक ||

 

कर्णवीर का कवच कुंडल,

कवच तन की ये ढाल बनी ||

 

सहमा न डिगा युद्ध पथ में,

भरते साहस कवच तन को ||

 

हे ! माधव भारतवर्ष को देखो,

कैसी चीत्कार हाहाकार जो ||

 

वसुंधरा की ये करुण पुकार,

अश्रु नयन झर मानो निर्झर ||

 

कोविड की तांडव से भयभीत,

राजा रंक है सभी ये अचंभित ||

 

देवालय की आज घण्टा शांत,

चहल पहल औषधालय में देखो ||

 

सेवक बन कर देव चिकित्सक,

न थका न हारा जितने को जंग ||

 

हे ! मानव मास्क धारण कर लो,

सेनेटाइजर हाथ मलमल धोलो ||

 

कोविड से जंग जितने को आज,

टिका सुरक्षा कवच अभी लगा लो ||

 

अमृत बूंद बन वरदान मिला जो,

कवच कुंडल टिका सुरक्षा तन को ||

 

“कोविड टिका लगवाए जीवन धन्य बनावे”

 

 

©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़                                              

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