लेखक की कलम से
संदेश (पंजाबी कविता)
हरप्रीत कौर धूत, अमरीका
मैं यह नहीं कहती
छोड़ दो मुद्दे
भूल जाओ सब कुछ
या बात ना करो
लेकिन थोड़ी देर के
लिए ही
हो जाओ इकठ्ठे
न बनो कामरेड
ना खालिस्तानी
ना बात करो
हिंदी हिन्दू हिन्दोस्तान की
पहले एक मुद्दे पर
हो जाओ इकठ्ठे
बात करो किसान की
बात करो किसान की….
हिंदी अनुवाद : डा अमरजीत कौंके