लेखक की कलम से
संभावनाएं अपार …
दोहागीत
मौलिकता हो सृजन में, श्रेष्ठ भाव संचार ।
सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुज, संभावना अपार ।।
मौलिकता अरु सृजन का, है गहरा संबंध।
सृजन अर्थ है जन्म का, भरी नवीन सुगंध ।।
मौलिक मिट्टी डालकर, चले भेड़ की चाल ।
बदल जमाने का चलन, ले खुद में सब ढाल ।।
औरों के चश्में पहन, क्या हो बेड़ापार ।
सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुज, संभावना अपार ।।
खास विलक्षण रूप को, ले अपनी पहचान ।
नई फसल आनंद की, उगा सके इंसान ।।
नर नारायण के निकट, संभव सभी प्रयास।
विद्यमान हर शक्ति है, रखें आत्मविश्वास ।
नई सृष्टि निर्माण में, होवें भागीदार ।
सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुज, संभावना अपार ।।
©श्रीमती रानी साहू, मड़ई (खम्हारिया)