लेखक की कलम से

चुन लें मन रे मानवता को ….

 

अनजाने भूल गर हो जाता है

तब इंसान बहुत पछताता है

जानबूझकर गलती करनेवाला

उसे मानवीय भूल बतलाता है

जो मानवीय भूल बतलाता है

वह खुद से खूब घबराता है

हंस ले चाहे उपर से जितना

वह और कई भूल कर जाता है!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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