पेण्ड्रा-मरवाही

स्वाभिमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूरन छाबरिया ने कहा- रमन सरकार में आबकारी मंत्री रहे अमर अग्रवाल को शराब के खिलाफ बयान देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं

गौरेला (आशुतोष दुबे)। स्वाभिमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूरन छाबरिया अपने बयानों व मांगों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने तेंदूपत्ता तुड़ाई नीति बन्द करने की मांग सरकार से की थी तो आज उन्होंने छत्तीसगढ़ के पूर्व दिग्गज मंत्री अमर अग्रवाल के शराबबंदी वाले बयान के खिलाफ जमकर हल्ला बोला है। पूरन छाबरिया ने अमर अग्रवाल के उस बयान की कड़ी निंदा की है जिसमे उन्होंने भूपेश बघेल सरकार को “दारू से प्यार करने वाला” बताया था।

पूरन छाबरिया ने उनके बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “जिनके खुद के घर कांच के हो दूसरों के घर मे पत्थर नहीं मारते”। उन्होंने कहा कि अमर अग्रवाल को शराब के विषय में बोलने का कोई नैतिक अधिकार ही नहीं है। पूरन छाबरिया ने कहा कि जिनकी खुद की सरकार 15 साल तक शराब के दम पर चली हो और जो खुद शराब का सरगना हो उन्हें शराब अथवा शराब बंदी के विषय में बोलना शोभा नहीं देता।

पूरन छाबरिया ने पूर्व मंत्री पर आरोप लगाते हुए आगे कहा कि ये वही अमर अग्रवाल है जो भाजपा के शासनकाल में करोड़ों रुपए की नकली शराब अवैध तरीके से बेचकर शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया करते थे और जिनकी गुंडागर्दी से पूरा बिलासपुर शहर भयाक्रांत था। उन्होंने आगे कहा कि जब अमर अग्रवाल आबकारी मंत्री हुए तो शराब बिक्री का ठेका निजी हाथों से हटाकर सरकार को शराब बेचने जैसे घटिया काम में लगवा दिया और अपने अवैध शराब के धंधे को मनमानी ढंग से चलाया।

उन्होंने कहा कि सरकार का काम जनहित व लोक कल्याणकारी कार्य करना होता है न कि शराब बेचना, पर पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने सरकार से शराब बेचवा कर इस लोकतंत्र से चुनी हुई सरकार की साख में बट्टा लगवाने का कार्य भी बखूबी किया। शराब बिक्री की उनके द्वारा चलायी गई परिपाटी आज तक चल ही रही है।

पूरन छाबरिया ने आगे कहा कि अमर अग्रवाल एक प्रकार से नशे के सौदागर हैं। वे खुद गुड़ाखु के व्यवसायी हैं और पूरे छत्तीसगढ़ की भोली-भाली जनता को इस गुड़ाखु के माध्यम से धीमा जहर बांट कर लाखों रुपये रोजाना कमा रहे हैं। उनकी गुड़ाखु फैक्टरी की गंध से खरसिया से लेकर बिलासपुर शहर के मोहल्लेवासी त्रस्त हैं।

उन्होंने कहा कि अमर अग्रवाल को शराब के विषय में बोलने अथवा शराब बंदी के मांग से पहले अपनी गुड़ाखु की फैक्ट्री को बन्द करनी चाहिए।

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