लेखक की कलम से

सावन उत्सव – धरोहर के संग …

अगर रिश्तों मे स्नेह हो और दिल मे उत्साह और उमंग हो तो ऐसी कोई चीज नहीं जो बाधा बने। लॉकडाउन के इस दौर मे भी वर्चुअल सावन उत्सव मनाकर सामाजिक संस्था धरोहर ने यह बात सिध्द कर दी। घर की दूरी.. स्थान की दूरी भी बाधक नहीं बनी और धरोहर की टीम ने साथ मिलकर सावन उत्सव मनाया और यह संभव हुआ धरोहर की अध्यक्ष डॉ सुनीता मिश्रा के प्रयासों से।धरोहर संस्था पिछले तीन वर्षों से अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपने पर्व तिहार, लोकगीत, खान पान को सहेजने के साथ साथ महिलाओं को स्वरोजगार देने की दिशा मे प्रयास कर रही है।

आज धरोहर ने अपने सावन उत्सव के माध्यम से लोक गीतों को सहेजने का प्रयास किया और मनोरंजन को भी बरकरार रखा। मधु मौर्य ने रिमझिम गिरे सावन से कार्यक्रम की शुरुआत की। मनीषा भट्ट, रश्मिलता मिश्रा, सुषमा पाठक, शोभा बिबे, लेखनी जाधव, सीमा पांडे, कमलेश पाठक, आरती राय ने सावन के उपर कविता पढी। तो मंजू यादव, डॉ. रीता तिवारी, आरती दीक्षित, प्रीति गुप्ता, वर्षा अवस्थी ने फिल्मी गीतो से मन मोह लिया। बीना यादव ने रंगीलो सावन पर, सुरेखा दीक्षित ने मोरनी बनके नाचूं और रानी साहु ने बदरिया बरसे पर रंगझांझर नृत्य ने समां बांध दिया।फिर डॉ सुनीता मिश्रा ने सवनाही, रेणु बाजपेई ने कजरी और पुष्पा नागवंशी ने म.प्र. का सावन गीत गाया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुनीता मिश्रा ने और आभार प्रदर्शन बीना यादव ने किया।

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