लेखक की कलम से
मुलाकात …
(गज़ल)
बातें भी जरुरी है और मुलाकातें भी जरुरी हैं,
मगर दिल न मिले तो हर बात अधूरी है,
तेरे शहर में आना तुझसे मिलना मेरी आरज़ू है,
तेरा सामने आके नज़रे न मिलाना तेरी जुस्तजू हैं,
तेरा मेरा मिलना सिर्फ बातों और ख्वाबों में है,
हम तो इश्क़ की हसरत लिए एक तरफ़ा ही है,
कोई शिकवा हैं न शिकायत तू तो मेरी दुआ है,
जो हमसफर है तेरा वो अब तेरा ही हुआ है।
©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड
परिचय:- अर्थशास्त्र एवं संगीत में एमए, एमएड, 20 साल तक शिक्षकीय कार्य, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित.