लेखक की कलम से

अभी भी वक्त है …

तलाशो……!!

तलाशो…..!!

हमारे ही अंदर छुपा है थोड़ा सा कंस

थोड़ा सा कृष्ण

युद्ध करो और

 विजयी हो…!

चलो महाभारत के

उस पार

**

हमारे नागफनी

गालियां देकर आप ने सिखा दी

फूलों को

कांटों की भाषा

जिसकी फसल को काटेंगे

आपके निरुत्तर हाथ वक्त गुजर जाने के बाद व्याकरण को

समझते हुए

ठहरो….!!

फूलों को सीखने दो फूलों की भाषा

**

आत्म दर्शन

जो समंदर में नहीं डूबा वो अपनी अंजुली में

डूब गया

होंठ खामोश है

शब्द चुप है

किसी ने कुछ नहीं कहा

फिर भी 

सब कुछ समझ गया

**

आईना

जब जब भी आईना कहना चाहता है

मुझसे मेरा सच

मैं बदल देता हूं बात करता हूं प्रतिवाद

आईने को रगड़ते हुए …

©विद्या गुप्ता, दुर्ग, छत्तीसगढ़                                   

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