लेखक की कलम से

रेखाएं …

हाथों की रेखाएं

क्या होती हैं जीवन की रेखाएं

 

जीवन पथ पर बढ़ते हुए

महसूस किया है

अनगिनत बिजली के तारों जैसी होती हैं

आड़ी-तिरछी

कहीं सीधी और कहीं उलझी

लैंप पोस्ट के सहारे

 

ये रेखाएं

मकड़ी के जालों सी जीवन को स्वयं में उलझाए रखती हैं

 

कुछ रेखाएं

एक बॉक्स जैसी होती हैं

स्वयं में अनंत रहस्यों को समेटे

कुछ सपाट लंबी

खजूर के वृक्ष जैसी

अकड़ और अहंकार से भरी हुई

 

जीवन के विविध रंगों को मूलतः वे

लाल रंग को उद्भाषित करती हैं

जिसकी खरोंच से

लहूलुहान है व्यक्ति का अंतस।

 

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                           

Back to top button
close