लेखक की कलम से
पिता : घर की नींव …
घर की नींव रखने वाले
समाज में सम्मान दिलाने वाले
बिना थके, बिना आराम किए
रोज कई घंटों तक काम किए
पर बच्चों को न कभी उफ कहा
संस्कार दिए, शिक्षा दी
सभ्यता से रूबरू करवाएं
मानवता का पाठ पढ़ाकर
हिंसा, द्वेष, बेइमानी से दूर रखा
मान और मर्यादा के साथ अपना नाम दिया
कर्म करो, फल अवश्य मिलेगा
ऐसी हमें सीख दी
अनकही बातें समझ लेते
भूखे रहकर भी राशन की कमी न होने देते
चेहरे की शिकन को न बाहर लाते
हर रोज प्रेरणा बन हमारे सामने आते
जीवन को जीने की कला कोई उनसे सीखे
हर जंग वह जीत ले
उनकी डांट भी एक सीख दे जाती
जीवन में शीर्ष तक पहुंचाती
चांद की शीतलता से सीखो
धैर्य को अपना कवच बना लो
कोई न तुम्हें तोड़ पाएगा
जो सीखा हमने उनसे सीखा
प्यार, दोस्ती और अपनापन का वे मिसाल हैं
पिता हमारे बेमिसाल हैं।।
©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा