लेखक की कलम से

आज कुछ नया सा …

आज कुछ नया सा गीत बनाना,

गायेगा जिसको कल जमाना।

होसलो से बढ़ना है आगे,

आशाओं के बुनने हैं धागे,

मुस्कुराते हुए चलते जाना,

आज कुछ नया सा गीत बनाना,

आकाशों की बुलंदी पर चल,

जिंदगी में तू कभी भी न डर,

फिर देख बस तेरा है ज़माना,

आज कुछ ऐसा गीत बनाना,

जाना है सबको यहाँ से एक दिन,

प्रेम गीत ही बनाने हर दिन,

हर आने वाला कल बने प्रेम दीवाना,

बस कुछ ऐसे ही गीत लिख जाना।

 

©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी           

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