लेखक की कलम से
मजदूर दिवस पर कुछ हाइकु लिखने का प्रयास…
अनवरत
थका न ही मैं चूर
मैं मजदूर
खून पसीना
इमारतों की नींव
मैं भरपूर
देता हूँ छत
हर सिर, बेघर
मैं मजबूर
कहीं बंगलें
बनवाए घरौंदें
मैं कौसों दूर
©सुधा भारद्वाज, विकासनगर, उत्तराखंड