लेखक की कलम से

लक्षद्वीप पर क्यों उठा बवंडर ? …

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इस जनजाति—बहुल द्वीप समूह के इस्लामीकरण की बाबत एक किस्सा है। सातवीं शताब्दी में यहां के पीर मियां उबैदुल्ला के सपने में पैंगबर—ए—इस्लाम आये थे। उन्होंने पीर से कहा कि जेड्डा से जहाज लेकर पूर्वी दिशा में जायें और इस्लाम का प्रसार करो। उबैदुल्ला लक्षद्वीप आये, एक स्थानीय ग्रामबाला से निकाह किया। उसे नाम दिया हामीदा बीबी। फिर मतान्तरण का दौर शुरु हुआ। तीन चौथाई जनसंख्या ने कलमा पढ़ा। उस बीच इस्लामी अरक्कल शासकों के अत्याचारों से त्रस्त (1783) द्वीपवासी पड़ोसी मैसूर रियासत के टीपू सुलतान को बुला लाये। मगर टीपू को हराकर बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इन द्वीपों को अपने साम्राज्य में मिला लिया। भारत स्वतंत्र होते ही सरदार पटेल ने उन्हें केन्द्र शासित क्षेत्र बना दिया।

गत तीन चार महीनों से लक्षद्वीप के नये प्रशासक प्रह्लाद खोडा पटेल द्वारा चलायी गयी विकास योजना के विरोध में आंदोलन चल रहा है। यह पटेल महाशय दादरा, नगर हवेली, दमण के प्रशासक है। यह नरेन्द्र मोदी की गुजरात काबीना में गृहमंत्री रहे। तब गृहमंत्री अमित शाह सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस में जेल में थे। उनके स्थान पर मुख्यमंत्री मोदी ने पटेल को नामित किया था। आज पटेल ने बीड़ा उठाया है कि इस अति पिछड़े आंचलिक क्षेत्र को आधुनिक भारत का भाग बनायेंगे। नई विकास योजनाओं के तहत लक्षद्वीप की सकरी, जर्जर सड़कों का चौड़ीकरण, लघु उद्योगों का, खासकर नारियल के रेशों का उत्पादन, मछली उद्योग (विशेषकर टूना मछली) का विस्तार और देश—विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करना आदि शामिल है। उनका लक्ष्य है कि द्वीप का भारतभूमि से संपर्क सूत्र बढ़े जैसे वायुयान तथा स्टीमर—नौकायें आदि चलवाना।

हालांकि यहां के चन्द पुराने मुनाफाखोरों ने दैनिक ”अरब न्यूज” को बताया कि प्रशासक पटेल ने गोमांस की बिक्री बंद करा दी। शराब की दुकानें खुलवा दीं। दो से अधिक संतान वालों को पंचायत के चुनाव लड़ने से वर्जित करा दिया। बड़े होटल उद्योग को निवेश हेतु आमंत्रित किया। इस पर पटेल के समर्थकों का जवाब है कि पर्यटन विकास हेतु आधुनिक सुविधायें उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इससे रोजगार बढ़ेगा। आय दोगुनी होगी। इसी भांति समुद्रीय खाद्य उद्योग भी फैलेगा। लक्षद्वीप में अभी तक शीतगृह के अभाव में मछलियां सड़ जातीं थीं। अब कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला निर्मित हुयी है। मछुआरों की आय बढ़ी है। सौरऊर्जा केन्द्र स्थापित किये गये है कि द्वीप जगमगा सके। शिक्षा के क्षेत्र में चिकित्सा एवं इंजीनियरिंग संस्थान बन रहे है, ताकि द्वीपवासियों की संतानें दूर कोचिन, चेन्नई आदि जाने के बजाये यहीं प्रशिक्षण पाये। पंचायत में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण मिला है। इसकी मजहबी लोगों ने आलोचना भी की है। हाल ही में जब्त किये गये अफीम, कई एके—47 राइफल तथा आयातीत असलहों के कारण जन—सुरक्षा को प्राथमिकता मिली हैं। पुलिस प्रशासन का विस्तारीकरण हुआ है। पड़ोस के राष्ट्र मालद्वीव देश से अल—कायदा के आतंकियों की घुसपैंठ भी आशंकित है। प्रह्लाद खोडा पटेल का आग्रह है कि पुराने उपनिवेशों (दमण, दादरा, नगर हवेली) का आधुनिकीकरण हुआ है जिससे स्थानीय नागरिकों को सुलभ से जीवन के लाभ मिले है। लक्षद्वीप को भी वे सब मिलने चाहिये। इस विकास की गति से चन्द स्वार्थी नागरिकों के लाभ कटे है। वे ही इन प्रगतिशील योजनाओं का मजहब के आधार पर खिलाफत कर रहे हैं। यहां से लोकसभा में मोहम्मद फजल चुने गये है। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस के हैं। इसके नेता शरद पवार हैं। अत: उनके मतदाताओं के तुष्टिकरण हेतु इन विकास योजनाओं का विरोध किया जा रहा हैं।

प्रह्लाद खोडा पटेल आश्वस्त है कि कुछ समय बाद यहां की जनता विकास की प्रशंसा कर, राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल अवश्य हो जायेगी।

 

©के. विक्रम राव, नई दिल्ली                                           

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