लेखक की कलम से
गोपियां है लाल पीली …
रंग लेकर घूमते सब
भांग पीकर झूमते सब
कौन बच कर जा रहा है
देख कान्हा आ रहा है
गोपियों ने द्वार खोले
हाथ में रंगीन गोले
घेर कान्हा ने लगाया
खूब सबको है नचाया
लाल नीले हो रहे हैं
ग्वाल सारे रो रहे हैं
गोपियां है लाल पीली
और थोड़ी भंग पीली
आसमां नीचे है आया
होली का हुड़दंग छाया
मिलकर सब फाग गायें
झू में नाचें खुशी मनायें
©डॉ रश्मि दुबे, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश