लेखक की कलम से

अलविदा कशमकश भरा बीसवां साल …

पौष का स्वागत

 

तिथि पत्रक कल बदल जाएगा

नयी उम्मीद कल फिर आएगा

हमारे तुम्हारे विचार मिलते रहें

नया सबेरा कल फिर आएगा

 

बीस विष घोलता रहा उम्र भर

सबको तोलता रहा ये उम्र भर

मुस्कुराहटों ठहाकों की झोली

इक्कीस थामकर कल आएगा!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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