लेखक की कलम से

किसान को आत्मनिर्भर बनाया जाए …

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में भारतवासियों को आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया है। ये संदेश ऐसे समय पर आया है। जब भारत समेत पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना के कहर से जूझ रहा है और भारत में लॉक डाउन का तीसरा चरण चल रहा है और किसी को नहीं पता कि यह लॉक डाउन कब तक चलेगा। फिलहाल वर्तमान स्थिति को देखते हुए ये अनुमान लगाया जा सकता है कि ये लम्बा खींचने वाला है।

ऐसे में सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर बंनाने की जरूरत है जिसे वो है किसान। किसान अनाज पैदा करता है। भारत की आजादी से लेकर आज तक किसानों की समस्या हमेशा से बनी रही है। भारत के किसानों पर राजनीति होती है, नेता लक्षेदार भाषण देते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और रहती है। किसान हमेशा से छल-कपट का शिकार होता है। प्रकृति भी किसान का साथ नहीं देती है। वर्तमान समय में किसान की सबसे बड़ी समस्या, बेमौसमी वर्षा, सूखा, बाढ़, कृषि ऋण एवं अन्य प्रकार की समस्या से किसान हमेशा घिरा रहता है। यही करण है कि किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है।

किसान को आत्मनिर्भर बनाया जाए, इसके लिए उनमें नई तकनीकी जागरूकता, कृषि शिक्षा, औपचारिक ऋण समझ, फसलिकरणक की समझ, मिटटी की उर्वरता के लिए निर्देश, डिजिटल सुविधाएँ, बीज, उर्वरक जैसी वस्तुओं पर विशेष रियायतें, कृषि बाजार का विस्तार, कृषि एवं उससे सम्बंधित उत्पादों के लिए उचित मूल्य, बिचौलियों की भूमिका समाप्ति पर बल देने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों ग्रामीण उघोगों पर बल दिया जाए ताकि किसानों को रोजगार के विकल्प मिल सके। आज भारत को आवश्यकता है किसान एवं कृषि को मजबूत लोकतंत्र का आधार बनाने की ताकि अर्थव्यवस्था संतुलित बन सके और भारत के लक्ष्य समाबेसी विकास के सपने को साकार करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों को मूर्त रूप दिया जा सके।

©अजय प्रताप तिवारी, इलाहाबाद

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