लेखक की कलम से
अर्चना …
जय हिन्दी , जय भारती
जय हिन्दी , जय भारती
कथा- कुसुम की थाल सजाकर
सेवाओं की ज्योति जलाकर
कविताओं के कन्द- मूल से
आज़ उतारूं तेरी आरती
जय हिन्दी , जय भारती
जय हिन्दी , जय भारती ।
©राजीव भारती, राजीव भारती, गौतम बुद्ध नगर, नोयडा