लेखक की कलम से

होली खेलने के बहाने लड़कियों से हो रही छेड़छाड़ और बदतमीज़ी कितनी जायज़ …

होली हमारे भारतीय त्यौहारों में आनंदोल्लास और रंगों का पर्व है। नाच-गाने, हँसी-मजाक, मौज-मस्ती करने व ईष्योद्वेष जैसे विचारों को तिलांजली देने का त्यौहार है।

फागुन मास की पुर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएँ जुड़ी हुई है। पर आज हम बात करेंगे रंगने के बहाने लड़कियों से हो रही छेड़छाड़ और बदतमीज़ी कितनी जायज़।

बुरा न मानो होली है इस उक्ति का कुछ लोग गलत इस्तेमाल करते रंगों के त्योहार पर इसकी आड़ में गलत फायदा उठाने की कोशिश करते भी नजर आते हैं। रंग लगाने के बहाने कुछ लोग लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते देखे जाते है। ऐसा करने वाले अक्‍सर कोई अनजान नहीं होते बल्कि ज्यादातर पड़ोसी, दोस्त या रिश्तेदार भी होते हैं। इसी वजह से

होली पर कुछ महिलाएं घर से बाहर निकलने में कतराती हैं। चाहते हुए भी होली पर होली खेलने से घबराती है। ऐसा लगता है, मानो होली सिर्फ पुरुषों को ही खेलने का अधिकार है। महिलाओं से होली खेलने की आजादी छीन ली गई है। जबरदस्ती रंग लगाना, वल्गर शब्दों का इस्तेमाल या दुपट्टा खिंचने जैसी हरकतों से लड़कीयों को शर्मसार करते है।

होली में सड़कों पर रंगों से पुते चेहरे वाले लड़कों की टोलियां निकल पड़ती है। अक्‍सर ऐसे आवारा लड़के ग्रुप में निकलते हैं और पूरा सड़क जाम कर देते है। इनका खौफ़ इतना होता है कि उनके पास से निकलने से हर कोई लड़की घबराती है।

आजकल अच्छे रंगों का प्रयोग न करके रासायनिक लेपनों, नशे आदि का प्रयोग करके होली की गरिमा को लोग लुप्त कर रहे है। आजकल की पीढ़ी को होली के सही मायने पता ही नहीं कि क्यूँ खेली जाती है, कैसे खेली जाती है। ये त्यौहार बुराई पर अच्छाई कि जीत का है, पर कुछ लोग इसी त्यौहार को बुरा बना देते है। होली सौम्य रूप से मनाई जानी चाहिए। तभी इसका भरपूर आनंद लिया जा सकेगा।

ज़्यादातर लोगों के लिए होली का मतलब है रंग, मस्ती, गुझिया, दही-पापड़ी और भांग। पर लड़कियों और महिलाओं के लिए ये त्योहार बदतमीज़ी, छेड़छाड़ और हिंसा का डर भी लेकर आता है।

संस्कृति की आड़ में ऐसे भद्दे शब्द और अश्लील भाषा का प्रयोग किया जाता है, और त्यौहार के नाम पर अश्लीलता, साली और घरवाली पर मज़ाक, शादी के बाहर के संबंध पर चुटकुले सुनकर हंसी नहीं आती महिलाओं का सार्वजनिक अपमान लगता है।

होली पर महिलाओं को कुछ इस तरह कि सावधानियां बरतनी चाहिए।

ऐसे मनचले आवारा लड़कों से खुद ही सतर्क रहना होगा, क्योंकि जश्न के माहौल और भांग के नशे में धुत लड़कों पर किसी का कमान नहीं होता।

होली पर लड़कियां अनजान लोगों से ज्‍यादा मेल-जोल बढ़ाने से बचें।

होली पर अकेले घर से बाहर न निकलें, परिवार के किसी सदस्य के साथ ही बाहर जाएं।

स्कूल कालेजों में होली का आयोजन होता है तो मनचले छात्रों से दूरी बनाकर रखें।

होली पर किसी भी तरह के नशे से बचें।

दोस्त-रिश्तेदार में से जिनके साथ आप सहज महसूस नहीं करते, उनके साथ होली खेलने से बचें।

मना करने के बावजूद अगर कोई जबरदस्ती रंग लगाता है तो घर के किसी बड़े सदस्य से उनकी शिकायत करें।

होली पर रंग लगाकर ही शुभकामना देना जरूरी नहीं होता, सिर्फ हैपी होली बोलकर भी बधाई दी जा सकती है।

होली सिर्फ रंगों का ही नहीं, खुशियों का त्योहार है। होली के दिन दुश्मन भी दोस्त बन जाते है। ये त्योहार हंसी-खुशी, मौज-मस्ती और महिलाओं का सम्मान करते हुए मनाया जाना चाहिए, जिससे त्यौहार का मजा दुगना हो जाए।

 

 

©भावना जे. ठाकर                    

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