शौचालय निर्माण के दौरान मकान ही धसक गया बुजुर्ग महिला के
मरवाही। शौचालय निर्माण कराते वक्त एक बुजुर्ग महिला का मकान धसक गया। शौचालय बनवाने के लिए पैसे नहीं थे अब मकान बनाने के लिए पैसा कहां से आए इस चिंता में है शांती बाई। अधिकारी चाहते हैं कि मदद मिले लेकिन कोई फंड ऐसा नहीं है जिससे मदद किया जा सके। प्राकृतिक आपदा का मामला बनता नहीं है फिर भी महिला को मदद करने की इच्छा तहसीलदार सुनील अग्रवाल ने व्यक्त की है।
एक ओर जहां इसी छत्तीसगढ़ में 60 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला जब अपनी बकरियां बेचकर शौचालय निर्माण का करायी थी तो उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सम्मनित होने का अवसर मिला था, तो वहीं मरवाही की इस विधवा महिला शांति बाई चंद्रा को शौचालय निर्माण के चक्कर मे खुद के घर गिरने से स्थानीय नेताओं व प्रशासन चिंतित है।
छत्तीसगढ़ ही नही पूरे देश में शौचालय निर्माण प्रधान मंत्री मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक रही। यही कारण है कि पूरे भारत सहित छत्तीसगढ़ में शौचालय का निर्माण बड़ी तेजी से हुआ। कई गांवों व जिलों को धड़ाधड़ शौच मुक्त घोषित कर दिया गया। यही कारण है कि अनेक गावों में शौचालय निर्माण के साथ साथ बड़ी संख्या में भ्र्ष्टाचार की शिकायते भी देखने को मिली।
आज भी बहुत से ग्रामीण अपने नम्बर की बाह जोहते जोहते अब खुद ही शौचालय निर्माण कार्य में लग गए हैं। ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है ग्राम पंचायत मरवाही के पुरानी बस्ती का। खबर है कि मरवाही निवासी शांति बाई चंद्रा उम्र लगभग 60 वर्ष जो कि विधवा है और वह खुद ही अपने घर के बगल में शौचालय निर्माण हेतु गड्ढा खोद रही थी कि अचानक उसका पूरा घर भरभरा के गिर गया। ग़नीमत रही कि घर भसकने से जान माल की कोई हानि नहीं हुई और वह महिला और उसके 4 अन्य परिवार पूरी तरह सुरक्षित है। शौचालय निर्माण के चक्कर मे उसका बना बनाया घर भी उजड़ गया। यदि पूर्व में ही उसके यहाँ शौचालय का निर्माण करा दिया गया रहता तो शायद आज उसको ये दिन देखने को नहीं मिलता। तहसीलदार सुनील अग्रवाल ने इस संबंध में दिल्ली बुलेटिन से बातचीत करते हुए दु:ख व्यक्त किया कि महिला का मकान गिर गया लेकिन सीधे मदद के लिए कोई फंड न होने की उनके समक्ष लाचारी भी है। उन्होंने कहा कि जनपद के सीईओ से वे चर्चा करेंगे कि महिला को किसी तरह से कुछ मदद दिलवाया जा सके।