छत्तीसगढ़पेण्ड्रा-मरवाही

मरवाही जलसंसाधन विभाग को बोधघाट स्थान्तरित किये जाने सबंधी चर्चाओं के बीच अमित जोगी ने खोला मोर्चा

मरवाही (अनुपम शुक्ला)। अजीत जोगी जब छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र मरवाही में पृथक से जल संसाधन विभाग बनाया था। इसी बीच चर्चा है कि जलसंसाधन विभाग मरवाही को बोधघाट में स्थानांतरित किया जा रहा है।मरवाही के जलसंसाधन विभाग के बोधघाट में स्थान्तरण को लेकर अब विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं।

इसके स्थान्तरण को लेकर जहाँ जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। वहीं आज जिले के जोगी कांग्रेस के नेताओ द्वारा इसी बाबत राज्यपाल अनुसुइया उइके के नाम गौरेला पेंड्रा मरवाही के कलेक्टर को ज्ञापन भी दिये।

मरवाही क्षेत्र पहले सिचाई विहीन ही था। पर मरवाही जल संसाधन विभाग बनने के बाद से क्षेत्र में कई एनीकट, स्टॉप डेम और बांधों का निर्माण हुआ। जिससे यहां की सिंचाई क्षमता में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई। यहाँ किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अपर सोन, लोवर सोन, खुज्जी, मलनिया डेम, सोन नदी में जगह जगह बने एनीकट, जैसे बड़े काम जल संसाधन विभाग ने किए हैं। यही नहीं इस विभाग द्वारा सबसे अधिक डेम मरवाही क्षेत्र में ही बनाया गया है। किंतु इन सब कामों के वावजूद अभी भी मरवाही क्षेत्र सिचाई के राष्ट्रीय औसत से काफी पिछड़ा हुआ है और अभी भी इस जिले को ऐसे और बड़ी परियोजनाओं की महती आवश्यकता है। ऐसे में अगर मरवाही जलसंसाधन विभाग को बोधघाट स्थान्तरित किया गया तो यहाँ सिचाई की सुविधाओं का विस्तार नहीं होगा और नये डेम, बांधो, नहर व अन्य सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति से लेकर निर्माण तक ठंडे बस्ते में चली जाएगी। इन्ही आशंकाओं व चर्चाओं के बीच जोगी कांग्रेस के नेता अमित जोगी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि भूपेश बघेल को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। क्योंकि मरवाही क्षेत्र में अभी सिंचाई सुविधाओं का अभाव है और यहाँ बहुतेरे किसान भगवान भरोसे ही रहते हैं।

अमित जोगी ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो पूरे जिले में आग लग जायेगी और हम मरवाही के जनता के साथ अपनी अंतिम सांस तक इस लड़ाई को लड़ेंगे। अमित जोगी ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ सरकार को मरवाही की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय पर तुरंत रोक लगाना चाहिए।

ज्ञात हो कि बोधघाट दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किलोमीटर और जगदलपुर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस परियोजना की कुल लागत लगभग 21 हजार करोड़ रुपए है।

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