लेखक की कलम से

जो बीत गई अब वह बात ना कर …

नये दिन की नई चेतना उमंग मन में भर।

है मुश्किल सही सब भूलना क्या रह गया क्या खो दिया

मन को तेरे जो भिगो दे अब वह हिसाब ना कर

बीत जाता है समय भी अच्छा हो या बुरा

सोच कर बीते पलों को यूं समय जाया ना कर

जो बीत गयी अब वो बात ना कर।

 

यूं ना रख निस्तेज मन को रचने दे नयी कल्पना

फिर सजे आंगन तेरा रच ले तू ऐसी अल्पना

जो चले अविरल समय संग वह समय को जीत ले

जो भरे ऊर्जा मन में ऐसी सोच का संचार कर।

जो बीत गई अब वह बात ना कर।

 

थे जो क्षण अनुपम बीते वक़्त की सौगात में

चुन ले वो मोती जो खुशियों भरे जज्बात थे

है तेरा संसार सुखमय ईश आभार कर

सीख कर बीते समय से नयी भोर का आगाज कर।

जो बीत गई अब वह बात ना कर

नये दिन की नई चेतना उमंग मन में भर।

 

©मोहिनी गुप्ता, सिकंदराबाद

परिचय :- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन व चित्रकारी का शौक.

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