लेखक की कलम से

बदलता वर्ष …

साल बदलने से क्या होता है
लोग तो वही हैं,पड़ोस भी वही है,
सोच भी वही है,विचार भी वही हैं,
नीयत भी वही है,मंशा भी वही है,
क्या कुछ पुराना बदलेगा?
शंका बस यही है।

साल बदलने से क्या होता है
तू भी वही और मैं भी वही हुँ,
नाते-रिश्ते वही हैं,जलन-कुढ़न वही है,
ईर्ष्या भी वही है,ताने-वाने वही और
कड़वाहटें भी वही हैं
उपासना घटी और वासना बढ़ी है,
मां-बहन को घूरती आँख भी वही है
तेरी बहन,मेरी बहन
समझ ये नहीं है।

साल बदलने से क्या होता है
सब कुछ तो वही है
रात भी वही है,दिन भी वही है
वार भी वही और तारीखें भी वही हैं
शिकायतें भी वही,उलाहने भी वही हैं,
व्यवहार कोई बदला नहीं,
फितरत सबकी वही है।

साल बदलने से क्या होता है
द्वंद सब वहीं है,
तेरा-मेरा,मेरा-तेरा
तालमेल नहीं है,
जो बीत गई सो बात गई
कोई भूलता नहीं है,
प्यार करे और नफरत त्यागे
दिल इतना बड़ा नहीं है,
बैर-भाव,कट्टी-बट्टी
सब कुछ तो वहीं है।

साल बदलने से क्या होता है
वृद्धाश्रम वहीं हैं,
बच्चियाँ कूड़े में पड़ी हैं,
गुरूर और घमंड वही,
दूरियां और बढ़ी हैं,
अकेलापन वही है
अपनों से जल्दी मिलने की,
उम्मीद भी वहीं है,
आस कोई बढ़ी नहीं
निराशाएँ ही बढ़ी हैं
बच्चे मिलने कब आएंगे
इंतज़ार वहीं का वहीं है।

साल बदलने से क्या होता है
नव- वर्ष ही तो आया है,
कल ये भी बीत जाएगा,
फिर नया वर्ष आएगा,
है ज़रूरत खुद को बदलो
सोच को बदलो,होश को बदलो,
ये सिलसिला तो चलता जाएगा
ये सिलसिला तो चलता जाएगा।

 

@डॉ.प्रज्ञा शारदा, चंडीगढ़

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