लेखक की कलम से

अच्छे बाप बनो……..

लोग चाहते हैं कि, मेरे घर में भी,
राम- लक्ष्मण जैसा बेटा हो।
किन्तु खुद नहीं बन पाते,
दशरथ और कौशिल्या,
जैसे धर्मवीर माता -पिता।

लोग चाहते हैं कि मेरा बेटा भी,
आज्ञाकारी बने श्रवण कुमार सा,
लेकिन खुद ही अपने माता पिता ,
का आए दिन निरादर करते रहते हैं।।

लोग चाहते हैं कि मेरा बेटा ,
सात्विक और सादगीपूर्ण हो,,
पर खुद ही नित्यप्रति रंगीनियों,
में आकंठ डूबे रहते हैं।।

लोग चाहते हैं कि मेरा पुत्र,
मेरे बुढापे का सहारा बनें।
लेकिन खुद के बूढ़े माँ बाप,
दर-दर भटकते रहते हैं,
किसी सहारे की तलाश में।।

याद रक्खो साहब ,
वो बेटा है ,कोई यंत्र नहीं,
जिसे तुम चला लोगे।
वो बेटा है ,कोई मंत्र नहीं,
जिसे तुम सधा लोगे।।

जिसे तुम बेटा कहते हो,
वो कल तुम्हारा बाप बनेगा।
जैसा आईना दिखाओगे,
वैसा ही चित्र अपने आप बनेगा।।

भविष्य का संवाहक तुम खुद,
अपने -आप बनों।
बेटा तुम्हारी परछाई जरूर बनेगा,
पहले तुम एक अच्छे बाप बनों।।

©श्रवण कुमार साहू “प्रखर”, राजिम

 

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