लेखक की कलम से

      हिंदी का श्रृंगार ….

 

 

हिंदी की बिंदी चमक

मुख मंडल पर लाल ।।

 

चमक दमक कर सौ गुनी

अद्भुत शोभा भाल ।।

 

अधरों में दस रस भरे

रसना मिश्री घोल ।।

 

भाषा  बोले प्रेम को

हिंदी मीठे बोल  ।।

 

अलंकार से सज़ रहे

हिंदी दोनो हाथ ।।

 

उपमा रूपक चूनरी

चाँद सितारों साथ ।।

 

शब्द हॄदय सन्धि धरे

चरणों पड़े समास  ।।

 

कर्ता, कारक, कर्म सब

नयनन करें निवास ।।

 

व्यकरण रूप धारण करे

अक्षर मोती माल  ।।

 

शब्दों के सरगम बजे

हिंदी में सुर-ताल   ।।

 

 

          ©जाधव सिंह रघुवंशी, इंदौर           

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