लेखक की कलम से

जल-संरक्षण : हालात जो ये हैं …

आने वाले वक्त के हालात हम बताये जा रहे हैं

बहुत ही कठिन दिन जीवन में आये जा रहे हैं

कुएं बावड़ियों के मुँह बंद कराये जा रहे हैं

नलों से पानी घरों में क्या पहुंचा

हम जल स्त्रोतों का महत्व ही भुलाए जा रहे हैं

गर जो खींचना पड़े पानी कुओं से

नदियों से जल जो भरना पड़े

पानी की महत्ता हम बताये जा रहे हैं

लम्बी डगर है कठिन पनघट की

ये हम तुमको सुनाए जा रहे हैं।

बहुत ही कठिन दिन जीवन में आए जा रहे हैं

कोई गिर न जाए कुओं के अंदर

डर से कुए ही बंद कराए जा रहे हैं

कुओं की व्यथा हम बताए जा रहे हैं

सूखते तालाब लुप्त होती बावड़ियाँ

और जोहड़ों के निशान भी मिटाए जा रहे हैं

बढ़ती आबादी के खातिर होता भूजल दोहन

भूजल स्तर पाताल की और जाए जा रहे हैं

चटकती धरती बढ़ती गरमी रेगिस्तानी हालात ये बताए जा रहे हैं

ये हाल आने वाले वक़्त का हम बताए जा रहे हैं

संभल जाओ नादान ऐ दुनिया वालों

वरना नामोनिशान मिटने के दिन पास आये जा रहे हैं …

©प्रेमचन्द सोनी, फरीदाबाद

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