लेखक की कलम से
मन …
मन कभी चंचल कोमल
मन कभी गहन चिंतन में लिप्त
कभी अनंत गहराइयों में खोया
कभी पक्षी समान भरे उड़ान
मन की बातें
आँखों की भाषा
कुछ नयी अभिलाषा
मन पल में अनंत गहराइयां छू जाये
मन पल में विचलित पल में स्थिर हो जाये
मन की बातें जानना बहुत जटिल
मन है समुन्दर सा गहरा
मन नदी सा निश्छल
पल में शांत पल में उद्वेग
मन की बातें मन ही जाने
मन को समझना बहुत जटिल …
©शालिनी जैन