लेखक की कलम से

वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश देती अनूठी यात्रा का हुसैनीवाला में हुआ समापन …

आजादी के 75वें साल पर भारत और पाकिस्तान की जनता जहां अपने अपने देशों की आजादी के जश्न की तैयारी कर रहे थे, वहीं 13 अगस्त को दिल्ली स्थित महात्मा गांधी की समाधि से 14 राज्यों के शांति सैनिकों की एक यात्रा भारत के वसुधैव कुटुंबकम् के संदेश को लेकर शुरू हुई। जो हुसैनीवाला स्थित शहीद ए आजम की समाधि पर पहुंच कर संपन्न हुई। यात्रियों ने शहीदों के समाधि स्थल पर मोमबत्तियां जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस यात्रा में शांति सैनिकों की संख्या भले कम थी लेकिन उनकी यात्रा का महत्व बहुत महत्वपूर्ण था। रास्ते भर में सभी शांति सैनिकों का अभूतपूर्व स्वागत हुआ।

इस यात्रा के आयोजन में अनेक संस्थाओं का सहयोग रहा लेकिन आगाज ए दोस्ती की भूमिका अधिक थी। पाकिस्तान सहित दुनिया भर में आपसी प्रेम और भाईचारे को विकसित करने के मकसद से शुरू हुई इस महत्वपूर्ण यात्रा में देशभर के 24 संगठनों के 42 प्रतिनिधि शामिल हुए। यात्रा का मकसद विश्व शांति व दक्षिण एशिया खासतौर से भारत और पाकिस्तान की जनता के बीच लोगों में अमन और दोस्ती बढ़ाना भी था।

गौरतलब है कि सन 80 के दशक में भारत और पाकिस्तान के शांति कर्मियों ने भारत-पाकिस्तान सीमा वाघा अटारी बॉर्डर पर पहुंच कर शांति के लिए मोमबत्तियां जला कर पहली बार पहल की थी। इसमें निर्मला देशपांडे और कुलदीप नैय्यर की प्रमुख भूमिका रही। अब ये दोनों नहीं हैं लेकिन उनकी शुरू की गई पहल को आज भी दोहराया जा रहा है। इस पहल का यही संदेश था कि दोनों देशों की न केवल साझी विरासत है बल्कि संस्कृति भी समान है क्योंकि इन दोनों देशों की आज़ादी के लिए संघर्ष भी साझा रहा और उनके नायक भी।

यह यात्रा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि से चल कर दिल्ली के शहीद पार्क होते हुए मुरथल, सोनीपत, गन्नौर, समालखा, पानीपत, घरौंडा, करनाल, तरौरी, नीलोखेड़ी, कुरुक्षेत्र, शाहबाद, अम्बाला, रोपड़, खटकड़ कलां, जालंधर, मोगा होते हुए फिरोजपुर में हुसैनीवाला में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की संयुक्त समाधि, उनके साथी बटुकेश्वर दत्त तथा स रदार भगतसिंह की माता की समाधि पर पहुंचे ।

इस यात्रा में शहीद भगत सिंह के भांजे प्रो जगमोहन सिंह, इतिहासवेत्ता सुरेंद्र पाल सिंह, अधिवक्ता और वरिष्ठ समाज कर्मी राम मोहन राय, रवि नितेश, सदीक अहमद मेव, संजय राय, दीपक कथूरिया और भुवनेश सहित प्रमुख लोग शामिल थे। यात्रा के स्वागत करने वालों में विद्या भारती स्कूल, पानीपत, सेंट कार्मेल स्कूल, रोपड़ के छात्र, ज्ञान विज्ञान आंदोलन के नेता, डॉ श्याम लाल थापर नर्सिंग कॉलेज, मोगा तथा डॉ थापर दम्पत्ति व अन्य थे। यात्रा के क्रम में यात्री दल के सदस्य महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ, गांधी दर्शन (दिल्ली), भगतसिंह का गांव खटकड़कलां, ग़दर पार्टी के नेताओं की याद में जालंधर में बना देशभक्त यादगार हॉल और अंत मे समाधिस्थल हुसैनीवाला के रूबरू हुए। यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ावों पर रुकते हुए हुसैनीवाला पहुंचे फिर अपने संदेश फैला कर अपने घरों को वापस लौटे। यात्रा का लोगों ने बहुत अपनेपन से स्वागत-सत्कार किया। वह तो भुलाया नही जा सकता। यात्रा के क्रम में एक के बाद एक होने वाली लगभग 27 छोटी बड़ी सभाओं में यात्रियों ने शांति,प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया।

यात्रा की शक्ति इप्टा उत्तराखंड के साथी महशूर रंग कर्मी सतीश कुमार, धर्मानन्द लखेड़ा, युवा साथी सार्थक कुमार शक्ति थे जो देशभक्ति के गीतों, गज़लों व संगीत से सम्पूर्ण वातावरण को जीवंत बनाये थे।

प्रसिद्ध अधिवक्ता और वरिष्ठ समाज कर्मी राम मोहन राय के मुताबिक यह यात्रा पूरी तरह से इसलिए भी ऐतिहासिक रही कि जब यात्रा दल भारत में स्थानीय लोगों के साथ मिल कर समाधिस्थल पर देशभक्ति, अमन और दोस्ती के नारे लगा रहे थे तभी सीमापार पाकिस्तानी मित्र कसूर में बाबा बुल्ले शाह की दरगाह और बांग्लादेशी दोस्त नोआखाली स्थित गांधी आश्रम में अपने-२ ढंग से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे । भारतीय दल भी अपने-२ हाथों में दक्षिण एशियाई नेताओं के चित्रों के साथ ही अमेरिका के डॉ ए इ डब्ल्यू बॉयस, मार्टिन लूथर किंग जूनियर के चित्र लिए थे।

विभिन्न सभाओं में प्रो जगमोहन सिंह ने महात्मा गांधी तथा भगतसिंह को एक दूसरे के पूरक बताया। आज़ादी की भावना पर डॉ पवन, थापर, मालती थापर व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव अशोक अरोड़ा ने भी विचार रखे। यात्रा के क्रम में आयोजित विभिन्न सभाओं में सैटरडे फ्री स्कूल, अमेरिका के अग्रणी डॉ एंथोनी मरटेरिओ, प्रसिद्ध गांधीवादी भाई जी सुब्बाराव, पद्मश्री धर्मपाल सैनी, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मोहनी गिरि, हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल के प्राप्त शुभकामना संदेश पढ़ कर सुनाए गए।

गांधी ग्लोबल फैमिली, हाली पानीपती ट्रस्ट, राष्ट्रीय सेवा परियोजना, आग़ाज़ ए दोस्ती संगठन, असोसिएशन ऑफ पीपल्स ऑफ एशिया, भगतसिंह से दोस्ती मंच, शहीद भगतसिंह फाउंडेशन, देस हरियाणा, हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति, गिल्ड ऑफ सर्विस, हरिजन सेवक संघ, खुदाई खिदमतगार हिन्द, मेवात विकास सभा, मैत्री फाउंडेशन, उत्क्रांति समता, सेंट कार्मेल स्कूल (रोपड़), युवसत्ता, मिशन भरतीयम, निर्मला देशपांडे संस्थान, खादी आश्रम (पानीपत), दक्षिण एशिया बिरादरी, यूनाइटेड रेलीजिनस इनिशिएटिव, वीमेंस इनिशिएटिव फ़ॉर पीस इन साउथ एशिया आदि संगठनों ने इस यात्रा को अपने सहयोग और समर्थन से महत्वपूर्ण बनाया।

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