लेखक की कलम से
देश का मजहब क्या है…….
चलो कुछ बदलते हैं
इस देश को रंगते हैं
प्रेम की गरमाहट में
एकता की ताकत में
चलो कुछ …
फौजियों की वीरता और सम्मान में
उन माँओं के अभिमान में,
जो देश को सौपती अपनी छाती चीर के संतानों को
हम सब के स्वाभिमान को बचाने में
चलो कुछ …
झोपडी़ को भी रंगे
उस कटघरे से आजाद करें
जो फटे लिवासों में जिन्दगी को ओडे़ है
चलो कुछ ..
तीन रंगों के चार अंगुल कपडे में
देश समया है जन जन में
केवल तिरंगा लहराने से
लोगों को बहलाने से
भारत नही है आजाद
चलो सब को आजाद करें
चलो कुछ …
तिंरगे का सम्मान करो
मानवता का मान करो
शोषित दलित मजदूर किसान
सब है हिन्दुस्तान की शान
मजहब को न बाँध डोर में
हिन्दू मुसलिम एक कौर में
जीवन का अावाहन करो
चलो कुछ …
हर पगडंडी रहा बनाती
जहाँ जाती जीना सिखाती
जीवित मुद्रा में रहकर
देश का उद्धार करो
चलो कुछ ……
©शिखा सिंह, फर्रुखाबाद, यूपी