लेखक की कलम से

भूत …

मिहिर आज अपने शहर अलीगढ़ जा रहा था कार से, वो गुड़गांव की एक कंपनी में जॉब करता है, ऑफिस का काम होते होते लेट हो गया और निकलने में रात हो गई, कुछ रास्ता पार करते ही बारिश भी आने लगी। मिहिर को भूतों से बहुत डर लगता हैं, उसको कभी भूत दिखा नहीं, पर ना जाने क्यों हद से ज्यादा डरता है और इस तेज बारिश वाले माहौल, आसपास से आती जानवरों की डरावनी आवाज़ें और साथ में कड़कती हुई बिजली ने मिहिर के डर को और बढ़ा दिया, लेकिन भगवान का नाम लेकर मिहिर आगे बढ़ता जा रहा था, तभी रास्ते में मिहिर को एक लड़की दिखाई दी और वो लड़की मिहिर को हाथ दिखा रही थी कार रुकवाने के लिए और काफी परेशान भी लग रही थी वो, लेकिन मिहिर ने डर के कारण कार नहीं रोकी और आगे बढ़ गया और लड़की की आवाज़ें बारिश में दबकर रह गई, बाद में मिहिर को एहसास हुआ; कि उसे कार रोकनी चाहिए थी, क्या पता लड़की किसी मुसीबत में हो; ये सोचकर डरते-डरते ही सही मिहिर वापिस वहां गया, जहां लड़की खड़ी थी, लेकिन मिहिर देखकर हैरान हो गया; क्यूंकि अब लड़की मरी पड़ी थी, वो खून से लथपथ थी; पर मरी कैसे है ये समझ नहीं आया, उसे मरा हुआ देखकर मिहिर और डर गया और लड़की को देखे बिना कि सच में लड़की मरी भी है या नहीं वहां से चला गया।

बारिश अभी भी बहुत तेज थी और कार सड़क पर भागी जा रही थी, कि अचानक मिहिर की कार के सामने चार लड़कों ने आकर कार रुकवाई, अब मिहिर और डर गया; उसे लगा, कि ये सब भूत हैं; पर मिहिर ने कार रोक दी, कार रोकते ही उन चार लड़कों में से एक ने मिहिर को कार से खींच लिया और बोला” चल जो हैं तेरे पास रुपया पैसा, निकाल।”

“मेरे पास कुछ नहीं हैं।” मिहिर ने डरते हुए कहा।

“बेवकूफ लग रहे हैं क्या हम तुझे, चल निकाल जो हैं।”   दूसरे लड़के ने कहा।

“अरे! सच कह रहा हूं, नहीं है कुछ मेरे पास।” ये कहते हुए मिहिर हाथ छुड़ाकर भागने लगा, लेकिन लड़कों ने भागकर मिहिर को पकड़ लिया और खूब मारने लगे और एक लड़के ने चाकू निकाला और मिहिर के पेट में चाकू से कई वार किए, जिससे मिहिर की वहीं मौत हो गई।

उन चारों लड़कों ने मिहिर के पास जो मिला वो ले लिया और मिहिर की कार लेकर वहां से फरार हो गए।

मिहिर की आत्मा वहां खड़ी होकर ये सब देख रही थी और सोच रही थी, कि मैं हमेशा भूतों से डरता रहा, पर मैं भूल गया था; की इंसान से बड़ा कोई भूत नहीं है, डरना है तो इंसान से डरो; किसी भूत से नहीं, भूत से डरने वाली अपनी बेवकूफी पर व्यंग्य से मुस्कुराते हुए मिहिर की आत्मा वहां से चली गई।

   ©श्वेता शर्मा, आगरा, उत्तर प्रदेश  

 

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