लेखक की कलम से
इम्तिहान ….
यह इम्तिहान की घड़ी है
हर क्षण एक नई कसौटी में कसना है
कभी गिराना तो कभी संभल कर चलना है
कांटे पथ पर मिलेंगे
फूलों को खुद ही चुनना है
आसमान के तारों सम टिमटिमाना है
जलते अंगारे क्यों न मिले रास्तों पर
बस हमें हिम सा ठंडा रहना है
इम्तिहान के समय अपने ज्ञान का सही इस्तेमाल कर
लक्ष्य को हासिल करना है
डरना नहीं किसी भी हालात से
क्योंकि नाथ की कृपा हर किसी के ऊपर है
सकारात्मक सोच रखो
दुनिया बदलने की ताकत हम में है
इम्तिहान तो आते जाते रहेंगे
हमें एक अच्छा विद्यार्थी भी बनाना है
जीवन का खेल जीत जाएंगे
बस एतबार खुद पर रखना है।
©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा